तीन लोक नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोय, करता जो न करि सकै, गुरु के करे सों होय

तीन लोक नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोय, करता जो न करि सकै, गुरु के करे सों होय

रिपोर्ट/दीपक कुमार

जगतपुर रायबरेली – सन्त निरंकारी सत्संग भवन, जगतपुर में सुबह का सत्संग कार्यक्रम आयोजित हुआ। सत्संग की अध्यक्षता करते हुए बहन पूनम जी ने सतगुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा, “तीन लोक नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोय। करता जो न करि सकै, गुरु के करे सों होय।”तीनों लोकों और नौ खंडों में गुरु से बड़ा कोई नहीं है। इस संसार की सारी शक्तियां हमारी इच्छा पूर्ति तो कर सकती हैं, लेकिन प्रभु परमात्मा से आत्मा का मिलन और मुक्ति नहीं करा सकतीं। सतगुरु प्रभु परमात्मा का ज्ञान देकर जन्म-मरण के बंधन से निजात दिला देता है। वह संसार के मोह को दूर कर सत्य के मार्ग पर चलना सिखाता है।

 

उन्होंने आगे कहा,

“गुरु पारस को अंतरो, जानत हैं सब संत। वह लोहा कंचन करे, यह करि देय महंत।” गुरु और पारस के अंतर को ज्ञानी जन जानते और समझते हैं। पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है, लेकिन सतगुरु की महिमा उससे भी अधिक बताई गई है। सतगुरु ब्रह्म ज्ञान देकर आत्मा का नाता परमात्मा से जोड़ देता है और परमात्मा स्वरुप बना देता है। संतजन प्रभु परमात्मा का अंश आत्मा को सभी जीवों में देखते हुए बिना किसी भेदभाव के सभी से निष्काम प्रेम करते हैं।

 

इस मौके पर ब्रांच प्रबंधक, ज्ञान प्रचारक महात्मा बसन्त लाल जी, राम सजीवन जी, संत राम जी, प्रीतम जी, सुरेन्द्र कुमार जी, रती पाल जी, राम लखन जी, रज्जन जी, शिव मूर्ति जी, अखिलेश जी, बहन वंदना जी, रेखा जी, ऊषा देवी आदि साध संगत मौजूद रही।

Bureau Report
Author: Bureau Report