कलयुग में प्रभु रघुनाथ जी की कथा से ही मन के संसय को दूर किया जा सकता है।

कलयुग में प्रभु रघुनाथ जी की कथा से ही मन के संसय को दूर किया जा सकता है।

 

जगतपुर

प्राथमिक विद्यालय के क्रीड़ांगन में श्री राम कथा महोत्सव समिति के द्वारा तीन दिवसीय श्रीरामचरितमानस सम्मेलन का आयोजन किया गया। सुंदरकांड के पाठ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।

 

जनपद उन्नाव से पधारे हुए रुचि महाराज ने राम कथा सुंदर कर तारी।

संशय विहंग उड़ावन हारी।। मानस की चौपाई का व्याख्यान करते हुए कहा कि रघुनाथ जी की कथा जहां पर भी होती है। हनुमान जी स्वयं विराजमान हो जाते हैं। रघुनाथ जी ने शरण में जाने वालों का उद्धार किया। कलयुग में प्रभु रघुनाथ जी की कथा से ही मन के संसय को दूर किया जा सकता है। भ्रम दूर होने पर ही प्रभु की शरण मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति मैं और मेरा के फेर में सारा जीवन गुजार देता है। फिर भी ईश्वर की प्राप्ति नहीं होती। नश्वर शरीर होने के बाद भी अहंकार के वशीभूत होकर ईश्वर की शरण में जाने से विमुख रहता है। अहंकार को मन से निकाल देने के बाद ही मन निर्मल होता है। और तब मैं और मेरा का अभिमान समाप्त हो जाता है। तब रघुनाथ जी कृपा बरसती है। व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता।

 

राम कथा में कविता कांत बाजपेई , रुचि महाराज ईश्वर जी ब्रह्मचारी सुश्री रश्मि जी श्रोताओं को ओतप्रोत किया।

 

इस मौके पर ओम त्रिपाठी राजेश त्रिवेदी राजन द्विवेदी अनिल बाजपेई रमेश शर्मा अनंत बहादुर सिंह आदि लोग मौजूद रहे।

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Author: Bureau Report