गड्ढों में तब्दील हुई सड़कें जान जोखिम में डालकर चलने को मजबूर राहगीर
मनोज मौर्य
गदागंज रायबरेली
विकासखंड दीन शाह गौरा के अंतर्गत गदागंज चौराहे से गुजरने वाली जलालपुर धई रोड, डलमऊ ऊंचाहार रोड, और नाली की हालत इतनी बत्तर हो गई है कि राहगीरों को चलना दुश्वार हो गया है आपको बताते चलें कि यह रोड 183 ऊंचाहार विधान सभा मे पड़ता है जहां से समाजवादी पार्टी के विधायक लगातार दो बार से जीत रहे है।यह क्षेत्र वर्तमान सरकार में कैबिनेट मंत्री का भी रह चुका है जिनकी पुत्रवधू वर्तमान में गौरा ब्लॉक से ब्लॉक प्रमुख भी है।
रायबरेली से कई बार से श्रीमती सोनिया गांधी सांसद भी रह चुकी है वर्तमान में भी है।कई बड़े नेताओं की नजरों में गदागंज क्षेत्र रहता है लेकिन गदागंज के गड्ढे किसी महानुभाव को नही दिखाई देती lऔर ना किसी ने किसी भी ठेकेदार को कभी पूछा होगा कि यह रोड इतनी जल्दी कैसे खराब हो गई क्यों आपने अच्छी रोड नहीं बनाई यह पूछने का समय किसी के पास नहीं है नहीं तो सरकारी धन का बंदरबांट कैसे होगा धन्य है गदागंज के क्षेत्रवासी जो इन्ही नेताओ को बार बार सर आंखों पर बिठाते है वो हमें लूट कर चले जाते है।सड़के बनती है एक बारिश भी नही झेल पाती और टूट जाती है क्यू की बनाने वाले जरूर बन जाते है।आजकल की राजनीति तो व्यापार हो गया है किसी को कोई राजनैतिक पद मिल जाये तो फिर क्या पूछना है उसकी तो दिन दूना रात चौगनी तरक्की होने लगती है और जनता से किये वादे कोई नही पूरा करता बस खा पी के मोटे हो जाओ उनको छोड़ो उनके पीछे पीछे चलने वाले छोटभैये नेता मालामाल हो जाते है।अगर सड़क का 50% भी उसमे लगा दे तो कम से कम 5 सालो तक बोलना नही पड़ेगा।आम आदमी क्या मांगता है बिजली सड़क पानी लेकिन यही तीन चीजो से वह हमेशा परेशान रहता है।
हमारे वर्तमान केंद्र सरकार के नेता क्या कहते है भारत बदल रहा है हमारे गदागंज में आकर देखे कितना बदल रहा है पैदल चलना दूभर है।विधान सभा चुनाव आ रहा है और फिर हमें लूटने हमारे नेता आ रहे हैं बड़े बड़े वादे करके कि मैं रोड बनवा दूंगा लाइट लगवा दूंगा नल दे दूंगा ऐसे ही प्रलोभन देते चले आ रहे हैं ऐसे वादे बहुत करेंगे लेकिन जीतने के बाद में कोई नहीं देखने आता कि हमारे क्षेत्र की रोडे कैसे हैं लाइट आती है या नहीं आती है यह सब पूछने का किसके पास समय है बस अपनी अपनी झोली भरो अपने ही लोगों को टेंडर दो वह लोग टेंडर लेकर खानापूर्ति कर चले जाएंगे फिर यहां की जनता 5 वर्ष रोते रहे चिल्लाते रहे लेकिन कोई सुनने वाला नहीं होता कब तक चलेगा यह सिस्टम कब तक कस्बे वासियों की और जनता की आवाज को दबाई जाएगी कब जागेंगे यह राजनेता ऐसे ही गड्ढों से ऐसे ही रोडो से होते हैं रोज एक्सीडेंट लोग मरते हैं लेकिन ना कोई राजनेता ना कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है कहने को तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी कहते हैं यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पंडित अमोल शर्मा जैसे वीरों की पावन धरती है लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है ग्रामीणों का कहना है कि नेता आते हैं सिर्फ फोटो खिंचवाते हैं सर पर कलश रखते हैं और हर साल वादा करते हैं कि अभी टेंडर हो गया है अब रोडे बन जाएंगी और फिर भूल जाते हैं और यही सिलसिला चलते चला आ रहा है कब जागेंगे नेता और कब जागेंगे अधिकारी या इसी तरह धूल मिट्टी कीचड़ में जीवन यापन करते रहेंगे ग्रामीण और गवाते रहेंगे अपनी जान l