*जब शहडोल कमिश्नर शर्मा ने सख्ती से कहा कि –ये मास्क नहीं उतरेगा*बी एल सिंह

 

*जब शहडोल कमिश्नर शर्मा ने सख्ती से कहा कि –ये मास्क नहीं उतरेगा*बी एल सिंह

*जब शहडोल कमिश्नर शर्मा ने सख्ती से कहा कि –ये मास्क नहीं उतरेगा*

( चुभती बात — मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र )

अनूपपुर–8 अगस्त 2021 की एक घटना से मै अपनी बात शुरु कर रहा हूँ इस समय तक कोरोना संक्रमण के दूसरे फेज की लहर कम होने के कारण सरकार द्वारा छूट दिये जाने पर म प्र श्रमजीवी पत्रकार संघ संभागीय इकाई शहडोल के बांधवगढ़ सम्मान समारोह में शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा के साथ प्रदेश भर के तमाम पत्रकार गण एकत्रित थे। राजीव शर्मा ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी के साथ – साथ बेहतरीन लेखक,उम्दा कवि और अच्छे वक्ता भी हैं उन्हे सामने से सुनने का लोभ मुझे भी था इसलिए मैं मंच छोड़ कर सामने अग्रिम पंक्ति में जा बैठा। कार्यक्रम स्थल पर सोशल डिस्टेंशिंग की मनमानी छूट ले ली गयी थी और खतरनाक तरीके से लगभग सभी लोग मास्क कान में लटकाए तो थे लेकिन नाक – मुंह कव्हर नहीं था। जैसे ही कमिश्नर ने अपनी बात शुरु की ,उन्हे अच्छे से सुनने को आतुर पत्रकारों ने उनसे मास्क हटा लेने का आग्रह किया। कमिश्नर श्री शर्मा ने दो टूक शब्दों में कहा कि ये मास्क नहीं उतरेगा।

*कोरोना अनुरुप आपका आचरण ही जीवन की गारंटी*

इसके बाद सभी ने अपने – अपने मास्क समुचित तरीके से लगा लिये थे। कहने का आशय यह कि जब कोविड संक्रमण का खतरा कम हुआ हो , हमें कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए । कोविड संक्रमण से बचाव की तय गाईड लाईन का पालन कमिश्नर शर्मा जैसे लोग ही करें यह सही नहीं । हम सबको उनका अनुकरण करने जरुरत है 2022 का पहला महीना बीतने को है लेकिन पिछले दो साल के उलट कोरोना वायरस का संक्रमण चरम पर ना भी पहुंचा हो तो उसके आसपास जरुर पहुंच गया है 2020 और 2021 में संक्रमण की भयावहता अप्रैल से जून के बीच अधिक महसूस हुई इस वर्ष यह मध्य जनवरी में ही अधिक संक्रामक हो गया है ओमिक्रान के अधिक संक्रामक लेकिन कम घातक होने की भविष्यवाणी तमाम विषय विशेषज्ञों ने समय – समय पर भले ही कर दिया हो आज भी उसके वास्तविक असर का परीक्षण जारी है।आज समीक्षा करें तो पाएगें कि कोविड — 19 और डेल्टा वायरस के कारण ग्रामीण ,शहरी स्वास्थ्य सेवाओं के तब चरमराने का दो बड़ा कारण था — 1. मरीजों की संख्या में अचानक इजाफा और 2. डेल्टा के असर का समय रहते आंकलन ना कर पाना। दुनिया भर के विकसित, विकासशील देशों के अस्पतालों में आक्सीजन , वेन्टिलटर , दवाओं की कमी से कोरोना प्रभावित जूझते देखे गये।आशंका से कहीं अधिक लोगों ने अपने प्राण गंवा दिये। आसपास ऐसा कोई परिवार नहीं बचा जिस पर कोरोना का किसी ना किसी तरह का दुष्प्रभाव ना पड़ा हो।

इसके बावजूद भारत जैसे देश ने बड़े शहरों के साथ जिला स्तर और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक आक्सीजन प्लांट्स, वेन्टीलेटर्स और जिला चिकित्सालयों में सीटी स्कैन मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सफलता प्राप्त की है। मास्क,सेनेटाइजर,पी पी ई किट्स अब कोई मुद्दा नहीं रह गये और ना ही दवाओं की कहीं कोई कमी है। इसे केन्द्र और राज्य सरकारों की बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है ।इसके अतिरिक्त वैक्सीनेशन अभियान को युद्ध स्तर पर चला कर सत्तर से नब्बे प्रतिशत आबादी को दो डोज देते हुए आज की तारीख में बूस्टर डोज देने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। भारत सरकार ने दुनिया के बहुत से देशों को वैक्सीन , दवाएं आपूर्ति की है। भारत की बड़ी आबादी को वैक्सीन की डबल डोज रिकॉर्ड समय में दे पाना सरकार की बडी उपलब्धि है।

कुछ राज्यों के कुछ हिस्सों में वैक्सीनेशन का विरोध भी देखा गया । म प्र के पुष्पराजगढ क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य में लगे अधिकारियों ,कर्मचारियों ,वालेंटियर्स से दुर्व्यवहार , गाली गलौच की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी सामने आईं। लेकिन अंततः बड़ी आबादी ने वैक्सीनेशन के महत्व को समझा और स्वीकार किया।
2021 के अंतिम महीने और 2022 के पहले महीने में ही भारत के पांच प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में जिस तरह से कोरोना और ओमिक्रान का संक्रमण तेजी से फैला ,उससे लोगों में चिंता का माहौल होने के बावजूद अपेक्षित सावधानी का आभाव देखा जा रहा है। 2020 और 2021 में जान, माल का बड़ा नुकसान उठाने के बावजूद लोगों में मास्क, सोशल डिस्टेंशिंग और वैक्सीनेशन को लेकर आवश्यक सावधानी की कमी और जानलेवा लापरवाही देखी जा रही है। सरकारों , समाजसेवी संगठनों की अपीलों को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे। जुर्माना, सरकारी योजनाओं के लाभ के लिये भले ही लोग वैक्सीन के दोनो डोज ले रहे हों…स्वयं को बीमारी से बचाने की जागरूकता लोगों में नहीं दिखती। ऐसे लापरवाह लोगों के कारण कोविड संक्रामकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और अंतत: अस्पतालों पर इसके चलते दबाव बढ सकता है।

*वैक्सीनेशन के बावजूद संक्रमण खतरनाक संकेत*

डब्ल्यूएचओ सहित अन्य स्वास्थ्य संस्थानों, डॉक्टर्स और कोरोना विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझावों को मानने के बावजूद कोरोना के अलग – अलग वैरियेन्ट्स कमजोर पडेंगे या नहीं, वैक्सीनेशन का डबल डोज,बूस्टर डोज लेने के बावजूद लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की चिंता कायम है। ऐसे लोगों को भले ही अस्पतालों में भर्ती होना ना पड़ रहा हो और वे कम समय में ठीक हो रहे हों …इससे समस्याएं कम नहीं हो रहीं।‌ लक्षण आधारित एलोपैथी इलाज से त्वरित उपचार होने ,राहत मिलने के बावजूद इनमे से ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो बाद में अलग – अलग कारणों से या तो दम तोड़ चुके हैं या आज भी इलाज करवा रहे हैं। अपने आसपास ऐसे कोरोना संक्रमित लोगों की भरमार देखेगें जो ठीक हो जाने के बावजूद तमाम तरह की शारीरिक ,मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं ऐसे बहुत से मामले भी सामने आ रहे हैं जब वैक्सीन का डबल डोज, बूस्टर डोज लेने के बाद भी लोग बीमार पड़ रहे हैं। सर्दी, खांसी,बुखार , सिर, पीठ,पैर,पेट में तेज दर्द, बेइंतहा कमजोरी , सांस फूलने , कम सुनाई पड़ने,याददाश्त कम होने जैसी शिकायतें लोग कर रहे हैं। यही परेशानी बच्चों में भी है। अब यह साधारण नजला, वायरल, न्यूमोनिया, टायफाईड है या कोविड का कोई नया वैरियेन्ट्स…किसी को कुछ इसलिए नहीं पता कि अधिकांश मामलों में लोग अब जांच ही नहीं करवा रहे। चिकित्सक की सलाह या अपने पिछले अनुभवों के अनुरुप मल्टी विटामिन्स, एन्टी बायोटिक्स, एन्टी एलर्जिक दवाएं, आयुर्वेदिक काढा, भाप , योग , मेडिटेशन से सही होने का प्रयास करते हैं। इन सबके फायदे और दुष्प्रभाव दोनों सामने या आगे आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

*यह करें –*

कोरोना संक्रमण के साथ तीसरा साल हमारे सामने है। सभी ने लाकडाउन –1 और लाकडाउन –2 को भुगता है। इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में बीमार पड़े और मृत्यु को भी प्राप्त हुए। अब जबकि ओमिक्रान के रुप में तीव्र संक्रमण से दुनिया गुजर रही है, कोई भी देश पूर्ण लाकडाउन बर्दाश्त नहीं कर सकता । यह आम जनता की कमर तोड देगा। ऐसे में हम सभी को सतर्क रहने की जरुरत है। नेता , राजनीतिक दल, प्रभावशाली व्यक्ति क्या कर रहे हैं..उनका कोविड आचरण क्या है…इस चक्कर में ना आ कर …इसे अनुकरणीय ना मान कर हमें स्वयं को अपने शरीर, परिवार, समाज के अनुरुप स्वयं को इस हेतु ढालने,गढने, मजबूत बनाने की जरुरत है। इसके लिये वैक्सीनेशन का पूरा लाभ लेने, लंबे समय तक मास्क, सेनेटाइजर, सामाजिक – शारीरिक दूरी, हाथों को निरंतर धोते रहने के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा तीव्र वायरस संक्रमण के बीच इन सबसे स्वतंत्रता / उच्छृंखलता का दुस्साहस किसी को भी जीवन से स्वतंत्र कर सकता है या परिवार के बच्चे, बुजुर्गों का जीवन खतरे में डाल सकता है। निरन्तर कोविड अनुरुप व्यवहार का सख्ती से पालन करके, सुलभ पौष्टिक भोजन, योग, व्यायाम को अपना कर शारीरिक – मानसिक स्वास्थ्य लाभ लेते रहना होगा सबसे अंत में ..लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह कि आपके पडोसी या आपके तमाम तथाकथित शुभचिंतकों को आपके अच्छे स्वस्थ जीवन से कोई लेना देना नहीं है। लोग आपको समाचार बनते देखना चाहते होंगे। फर्क पड़ेगा महज आपके परिवार , बाल, बच्चों, पत्नी, माता – पिता को। इसलिये अपने , अपने परिवार के हितों का ,स्वास्थ्य का, खुशियों का ध्यान रखने की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ आपकी है। कोई भी सरकार आपको मुफ्त राशन, मुफ्त दवा, मुफ्त इलाज,मुफ्त सलाह और मरने के बाद मुआवजा तो दे सकती है…स्वयं और अपने परिवार की खुशी, उसकी प्रसन्नता, उनके सुख का कारण आपको स्वयं बनना होगा…बने रहना होगा। इसलिए सतर्क रहें, खुश रहें और खुश रहने दें…स्वस्थ रहें..स्वस्थ रहने दें।

( चुभती बात — मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र )

अनूपपुर/8 अगस्त 2021 की एक घटना से मै अपनी बात शुरु कर रहा हूँ इस समय तक कोरोना संक्रमण के दूसरे फेज की लहर कम होने के कारण सरकार द्वारा छूट दिये जाने पर म प्र श्रमजीवी पत्रकार संघ संभागीय इकाई शहडोल के बांधवगढ़ सम्मान समारोह में शहडोल कमिश्नर राजीव शर्मा के साथ प्रदेश भर के तमाम पत्रकार गण एकत्रित थे। राजीव शर्मा ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी के साथ – साथ बेहतरीन लेखक,उम्दा कवि और अच्छे वक्ता भी हैं उन्हे सामने से सुनने का लोभ मुझे भी था इसलिए मैं मंच छोड़ कर सामने अग्रिम पंक्ति में जा बैठा। कार्यक्रम स्थल पर सोशल डिस्टेंशिंग की मनमानी छूट ले ली गयी थी और खतरनाक तरीके से लगभग सभी लोग मास्क कान में लटकाए तो थे लेकिन नाक – मुंह कव्हर नहीं था। जैसे ही कमिश्नर ने अपनी बात शुरु की ,उन्हे अच्छे से सुनने को आतुर पत्रकारों ने उनसे मास्क हटा लेने का आग्रह किया। कमिश्नर श्री शर्मा ने दो टूक शब्दों में कहा कि ये मास्क नहीं उतरेगा।

कोरोना अनुरुप आपका आचरण ही जीवन की गारंटी

इसके बाद सभी ने अपने – अपने मास्क समुचित तरीके से लगा लिये थे। कहने का आशय यह कि जब कोविड संक्रमण का खतरा कम हुआ हो , हमें कोई लापरवाही नहीं करनी चाहिए । कोविड संक्रमण से बचाव की तय गाईड लाईन का पालन कमिश्नर शर्मा जैसे लोग ही करें यह सही नहीं । हम सबको उनका अनुकरण करने जरुरत है 2022 का पहला महीना बीतने को है लेकिन पिछले दो साल के उलट कोरोना वायरस का संक्रमण चरम पर ना भी पहुंचा हो तो उसके आसपास जरुर पहुंच गया है 2020 और 2021 में संक्रमण की भयावहता अप्रैल से जून के बीच अधिक महसूस हुई इस वर्ष यह मध्य जनवरी में ही अधिक संक्रामक हो गया है ओमिक्रान के अधिक संक्रामक लेकिन कम घातक होने की भविष्यवाणी तमाम विषय विशेषज्ञों ने समय – समय पर भले ही कर दिया हो आज भी उसके वास्तविक असर का परीक्षण जारी है।आज समीक्षा करें तो पाएगें कि कोविड — 19 और डेल्टा वायरस के कारण ग्रामीण ,शहरी स्वास्थ्य सेवाओं के तब चरमराने का दो बड़ा कारण था — 1. मरीजों की संख्या में अचानक इजाफा और 2. डेल्टा के असर का समय रहते आंकलन ना कर पाना। दुनिया भर के विकसित, विकासशील देशों के अस्पतालों में आक्सीजन , वेन्टिलटर , दवाओं की कमी से कोरोना प्रभावित जूझते देखे गये।आशंका से कहीं अधिक लोगों ने अपने प्राण गंवा दिये। आसपास ऐसा कोई परिवार नहीं बचा जिस पर कोरोना का किसी ना किसी तरह का दुष्प्रभाव ना पड़ा हो।

इसके बावजूद भारत जैसे देश ने बड़े शहरों के साथ जिला स्तर और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक आक्सीजन प्लांट्स, वेन्टीलेटर्स और जिला चिकित्सालयों में सीटी स्कैन मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सफलता प्राप्त की है। मास्क,सेनेटाइजर,पी पी ई किट्स अब कोई मुद्दा नहीं रह गये और ना ही दवाओं की कहीं कोई कमी है। इसे केन्द्र और राज्य सरकारों की बड़ी उपलब्धि मानी जा सकती है ।इसके अतिरिक्त वैक्सीनेशन अभियान को युद्ध स्तर पर चला कर सत्तर से नब्बे प्रतिशत आबादी को दो डोज देते हुए आज की तारीख में बूस्टर डोज देने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। भारत सरकार ने दुनिया के बहुत से देशों को वैक्सीन , दवाएं आपूर्ति की है। भारत की बड़ी आबादी को वैक्सीन की डबल डोज रिकॉर्ड समय में दे पाना सरकार की बडी उपलब्धि है।

कुछ राज्यों के कुछ हिस्सों में वैक्सीनेशन का विरोध भी देखा गया । म प्र के पुष्पराजगढ क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य में लगे अधिकारियों ,कर्मचारियों ,वालेंटियर्स से दुर्व्यवहार , गाली गलौच की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भी सामने आईं। लेकिन अंततः बड़ी आबादी ने वैक्सीनेशन के महत्व को समझा और स्वीकार किया।
2021 के अंतिम महीने और 2022 के पहले महीने में ही भारत के पांच प्रमुख राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में जिस तरह से कोरोना और ओमिक्रान का संक्रमण तेजी से फैला ,उससे लोगों में चिंता का माहौल होने के बावजूद अपेक्षित सावधानी का आभाव देखा जा रहा है। 2020 और 2021 में जान, माल का बड़ा नुकसान उठाने के बावजूद लोगों में मास्क, सोशल डिस्टेंशिंग और वैक्सीनेशन को लेकर आवश्यक सावधानी की कमी और जानलेवा लापरवाही देखी जा रही है। सरकारों , समाजसेवी संगठनों की अपीलों को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे। जुर्माना, सरकारी योजनाओं के लाभ के लिये भले ही लोग वैक्सीन के दोनो डोज ले रहे हों…स्वयं को बीमारी से बचाने की जागरूकता लोगों में नहीं दिखती। ऐसे लापरवाह लोगों के कारण कोविड संक्रामकों की संख्या निरंतर बढ़ रही है और अंतत: अस्पतालों पर इसके चलते दबाव बढ सकता है।

वैक्सीनेशन के बावजूद संक्रमण खतरनाक संकेत

डब्ल्यूएचओ सहित अन्य स्वास्थ्य संस्थानों, डॉक्टर्स और कोरोना विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझावों को मानने के बावजूद कोरोना के अलग – अलग वैरियेन्ट्स कमजोर पडेंगे या नहीं, वैक्सीनेशन का डबल डोज,बूस्टर डोज लेने के बावजूद लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की चिंता कायम है। ऐसे लोगों को भले ही अस्पतालों में भर्ती होना ना पड़ रहा हो और वे कम समय में ठीक हो रहे हों …इससे समस्याएं कम नहीं हो रहीं।‌ लक्षण आधारित एलोपैथी इलाज से त्वरित उपचार होने ,राहत मिलने के बावजूद इनमे से ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो बाद में अलग – अलग कारणों से या तो दम तोड़ चुके हैं या आज भी इलाज करवा रहे हैं। अपने आसपास ऐसे कोरोना संक्रमित लोगों की भरमार देखेगें जो ठीक हो जाने के बावजूद तमाम तरह की शारीरिक ,मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं ऐसे बहुत से मामले भी सामने आ रहे हैं जब वैक्सीन का डबल डोज, बूस्टर डोज लेने के बाद भी लोग बीमार पड़ रहे हैं। सर्दी, खांसी,बुखार , सिर, पीठ,पैर,पेट में तेज दर्द, बेइंतहा कमजोरी , सांस फूलने , कम सुनाई पड़ने,याददाश्त कम होने जैसी शिकायतें लोग कर रहे हैं। यही परेशानी बच्चों में भी है। अब यह साधारण नजला, वायरल, न्यूमोनिया, टायफाईड है या कोविड का कोई नया वैरियेन्ट्स…किसी को कुछ इसलिए नहीं पता कि अधिकांश मामलों में लोग अब जांच ही नहीं करवा रहे। चिकित्सक की सलाह या अपने पिछले अनुभवों के अनुरुप मल्टी विटामिन्स, एन्टी बायोटिक्स, एन्टी एलर्जिक दवाएं, आयुर्वेदिक काढा, भाप , योग , मेडिटेशन से सही होने का प्रयास करते हैं। इन सबके फायदे और दुष्प्रभाव दोनों सामने या आगे आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

यह करें –

कोरोना संक्रमण के साथ तीसरा साल हमारे सामने है। सभी ने लाकडाउन –1 और लाकडाउन –2 को भुगता है। इसके बावजूद लोग बड़ी संख्या में बीमार पड़े और मृत्यु को भी प्राप्त हुए। अब जबकि ओमिक्रान के रुप में तीव्र संक्रमण से दुनिया गुजर रही है, कोई भी देश पूर्ण लाकडाउन बर्दाश्त नहीं कर सकता । यह आम जनता की कमर तोड देगा। ऐसे में हम सभी को सतर्क रहने की जरुरत है। नेता , राजनीतिक दल, प्रभावशाली व्यक्ति क्या कर रहे हैं..उनका कोविड आचरण क्या है…इस चक्कर में ना आ कर …इसे अनुकरणीय ना मान कर हमें स्वयं को अपने शरीर, परिवार, समाज के अनुरुप स्वयं को इस हेतु ढालने,गढने, मजबूत बनाने की जरुरत है। इसके लिये वैक्सीनेशन का पूरा लाभ लेने, लंबे समय तक मास्क, सेनेटाइजर, सामाजिक – शारीरिक दूरी, हाथों को निरंतर धोते रहने के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा तीव्र वायरस संक्रमण के बीच इन सबसे स्वतंत्रता / उच्छृंखलता का दुस्साहस किसी को भी जीवन से स्वतंत्र कर सकता है या परिवार के बच्चे, बुजुर्गों का जीवन खतरे में डाल सकता है। निरन्तर कोविड अनुरुप व्यवहार का सख्ती से पालन करके, सुलभ पौष्टिक भोजन, योग, व्यायाम को अपना कर शारीरिक – मानसिक स्वास्थ्य लाभ लेते रहना होगा सबसे अंत में ..लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह कि आपके पडोसी या आपके तमाम तथाकथित शुभचिंतकों को आपके अच्छे स्वस्थ जीवन से कोई लेना देना नहीं है। लोग आपको समाचार बनते देखना चाहते होंगे। फर्क पड़ेगा महज आपके परिवार , बाल, बच्चों, पत्नी, माता – पिता को। इसलिये अपने , अपने परिवार के हितों का ,स्वास्थ्य का, खुशियों का ध्यान रखने की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ आपकी है। कोई भी सरकार आपको मुफ्त राशन, मुफ्त दवा, मुफ्त इलाज,मुफ्त सलाह और मरने के बाद मुआवजा तो दे सकती है…स्वयं और अपने परिवार की खुशी, उसकी प्रसन्नता, उनके सुख का कारण आपको स्वयं बनना होगा…बने रहना होगा। इसलिए सतर्क रहें, खुश रहें और खुश रहने दें…स्वस्थ रहें..स्वस्थ रहने दें।

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Author: Bureau Report