प्रभु परमात्मा से जुड़कर निलुरप्त और निरलेप अवस्था में रहकर भक्ति करते हुए जीवन जीना है
रिपोर्ट/दीपक कुमार
जगतपुर रायबरेली – संत निरंकारी सत्संग भवन में रविवार को सत्संग का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता महात्मा संजू वर्मा ने की और कहा कि मनुष्य तन पाने के उद्देश्य को सिर्फ सतगुरु के द्वारा ही जाना जा सकता है।
बिना सद्गुरु के इस निरंकारकी पहचान नहीं हो सकती है ।पुरातन समय से यही रीत चली आ रही है। सद्गुरु ने कृपा करके एक प्रभु परमात्मा की पहचान कर कर भक्ति करना सिखाया है। परमात्मा हमारे अंग संग था। सांसों से भी नजदीक था। फिर भी हम इससे बेखबर होकर जीवन जी रहते सद्गुरु ने ब्रह्म ज्ञान से एक पल में आत्मा का नाता परमात्मा से जोड़ दिया।
शरीर में रहते हुए मुक्ति होने का मार्ग दिखाया है। इस संसार में रहते हुए सभी जिम्मेदारियां को निभाते हुए संसार में ना जोड़कर प्रभु परमात्मा से जुड़कर निलुरप्त और निरलेप अवस्था में रहकर भक्ति करते हुए जीवन जीना है। इस तरह से जीवन जीने वाले एक एक वाली अवस्था प्राप्त कर लेते एक दास भावना से युक्त होकर जीवन जीने लगते हैं। दुनिया की ऊंचाइयों को प्राप्त करके भी अभिमान नहीं करते प्रभु परमात्मा का ही शुकराना करते हुए सभी के लिए मन में प्रेम नम्रता वाला व्यवहार ही रखते हैं। और समाज में मानव को मानव से जोड़ने का कार्य करते हैं। इस मौके पर ब्रांच प्रबंधक ज्ञान प्रचारक महात्मा बसंत लाल। राकेश कुमार केडी बाजपेई सजन मिश्रा आशीष मिश्रा राम लखन रामस्वरूप हीरालाल शिव मूरत गुलशन उषा वंदना अंजू वर्मा विमला देवी कुमकुम मीरा दीक्षित माया शुक्ला आदि समस्त सतसंगत मौजूद रहे।