रिपोर्ट शुभांकर शुक्ल
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राही ब्लॉक क्षेत्र के रुस्तमपुर गांव के निवासी अजीत यादव की बारात बुधवार को जब गांवों के रास्तों से जा रही थी, तो देखकर लोगों के बीच चर्चा का माहौल रहा। जनपद में आज एक ऐसा नजारा देखने को मिला जिसकी चारों तरफ चर्चा होती रही। यहां एक दूल्हा शादी में दुल्हन को विदा कराने बैलगाड़ियों का काफिला लेकर पहुंचा।
दूल्हे की बारात का ऐसा तरीका देख लोग खुश नजर आए। कहने लगे कि पुराने जमाने की यादें ताजा हो गईं शादी को यादगार बनाने के लिए किया ऐसा रुस्तमपुर गांव के निवासी अजीत यादव की बारात जब गांवों के रास्तों से जा रही थी, तो देखकर लोगों के बीच चर्चा का माहौल रहा।
इस बारात को लोगों की भीड़ अपने दरवाजे व छतों पर उत्साहपूर्वक खड़े होकर देखती नजर आई। सजे-धजे बैल के खनखन करते घुंघरू आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। आगे-आगे घोड़े और पीछे बैल गाड़ियों का काफिला जा रहा था। इस प्राचीन परंपरा को देखकर के लोग बहुत खुश नजर आ रहे थे। दूल्हे पक्ष के लोगों ने कहा कि ऐसा इंतजाम करके यह शादी उनके लिए यादगार बन गई है।
पुरानी परंपरा को वापस लाने की कोशिशदूल्हे के पिता दिनेश यादव ने बताया कि जहां आज के दौर में लोग बड़ी-बड़ी गाड़ियों और हेलीकॉप्टर को शादी में लाने का शौक रखते हों, ऐसे में उनके परिवार ने शादी को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग करने की ठानी। पुरानी पद्धति को फिर से वापस लाने के लिए एक अनोखा कार्य किया गया।
दूल्हे कि पिता दिनेश यादव ने कहा कि आज से 70 साल पहले लोगों के पास संसाधन नहीं रहते थे। लोग बैल गाड़ियों से बारात ले जाया करते थे दूल्हे के पिता दिनेश यादव ने बताया कि बैल गाड़ियों का इंतजाम करना कठिन काम था। बैलगाड़ी का प्रचलन समाज से विलुप्त होता जा रहा है। लेकिन काफी मेहनत के बाद 25 बैल गाड़ियों का इंतजाम कर पाया गया।
दूसरी तरफ दुल्हन के पक्ष यानी भूएमऊ गांव निवासी रामनंद यादव की बेटी का खुशी भी ठिकाना नहीं रहा, जब उसने बैलगाड़ी से अपनी बारात आती देखी। दुल्हन ने कहा- ‘अजीत ने बैलगाड़ी से बारात ला करके मेरी जिंदगी का एक यादगार लम्हा बना दिया है।’