संत निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में सत्संग कार्यक्रम

संत निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में सत्संग कार्यक्रम

रिपोर्ट/ दीपक कुमार 

जगतपुर रायबरेली – रविवार को संत निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में सत्संग कार्यक्रम आयोजित हुआ। सत्संग की अध्यक्षता करते हुए महात्मा विवेक जी ने कहा:

 

“साधु मन का नहीं ठिकाना, भटकेगा भटकाएगा,

जो इसकी बातों में आया, उसको नाच नचाएगा।

साधु मन को अर्पण कर दो, मन की भटकन जाएगी,

कहे हरदेव सुमिरन कर लो, बात सकल बन जाएगी।”

 

युगों-युगों से संतों ने इस मन को स्थिर करने की बात बताई है। यह मन तो हमेशा भटकता है और भटकाता भी है। यह माया में ही उलझाए रखता है। अगर हम मन के मुताबिक चलते हैं तो फिर यह अपने ही इशारों पर चलाता रहता है, लेकिन यही मन जब भक्ति में साधक बन जाए तो भक्ति बहुत ही सहज हो जाती है।

 

“जो इंसान जगत में करता जैसी-जैसी संगत है,

उसके मन के ऊपर चढ़ती वैसी-वैसी रंगत है।”

 

मन का स्वभाव ही है कि वह जैसी संगत करता है, वैसे ही गुणों को ग्रहण कर लेता है। इस मन के रचनाकार हम स्वयं ही हैं। जैसे-जैसे हम इस मन को ढालते हैं, वैसे-वैसे यह मन ढलता जाता है। इसलिए इस मन को प्रभु परमात्मा की संगत देनी है, पल-पल इसके एहसास को बनाकर जीवन जीना है। सद्गुणों की संगत करनी है, क्योंकि सद्गुणों से ही जीवन निर्मल और पावन बनता है।

 

“मन प्रदूषित हो जाता है कर्ता भाव के आने से,

स्वच्छ व निर्मल हो पाता है अहंकार के जाने से।

वैर, ईर्ष्या, जलन, नफरत ये अंदर के प्रदूषण हैं,

स्वच्छ हो मन तो यह जीवन को आनंद से भर देता है,

प्रदूषित हो तो फिर चैन सभी हर लेता है।”

 

प्रदूषण चाहे अंदर हो या बाहर, दोनों ही कष्टकारी होते हैं। यह जीवन ईश्वर की देन है, इसलिए इसे परमात्मा का मान करके जीना चाहिए। यह सारा संसार प्रभु परमात्मा से संचालित है। एक सच्चा भक्त इसे अपने जीवन में अमल रूप में धारण करता है। अहम भाव को तज कर अकर्ता भाव से जीवन जीते हैं, मन में वैर, ईर्ष्या, जलन, और नफरत जैसे भावों को तज कर प्रेम, दया, विशालता, और नम्रता जैसे भावों को धारण कर मन को स्वच्छ बनाते हैं। मन की स्वच्छता ही उसकी सुंदरता है। एक स्वच्छ मन ही जीवन को आनंद से भर देता है।

 

इस मौके पर ब्रांच प्रबंधक एवं ज्ञान प्रचारक महात्मा बसंत लाल जी ने सभी का धन्यवाद अर्पित किया। सत्संग में महात्मा जगन्नाथ जी, बसंत सिंह जी, संजय कुमार सिंह, शिव मूर्ति जी, कमल जी, अखिलेश जी, विजय बहादुर सिंह जी, शत्रुघ्न जी, राम लखन जी, रज्जन जी, बहन उषा जी, वंदना जी, कमला जी, रजनी जी, धनदेवी जी, सीमा देवी जी, राजवती जी, कुसुमा जी, गंगा देई जी आदि सत्संगत मौजूद रही।

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Author: Bureau Report