सन्मुख होई जीव मोहि जबकि ,जनम कोटि अघ नासहिं तबाही
रिपोर्ट/दीपक कुमार
रायबरेली जगतपुर – सन्त निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में रविवार को सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया महात्मा बसन्त सिंह ने कहा बिन देखे यह मन नहीं माने बिन मन माने प्यार नहीं, बिना प्यार के हो ना भक्ति बिन भक्ति बेड़ा पार नहीं, गुरु दिखाए गुरु मनाए गुरु ही प्यार सिखाता है ,बिना गुरु नहीं होती भक्ति जो करता पछताता है। परमात्मा कण-कण में है सर्वज्ञ है।
ये सारा संसार ही परमात्मा से परिपूर्ण है यह सत्य तो हम पहले से भी सुनते आ रहे हैं लेकिन जब जीवन में पूर्ण सतगुरु आता है उसकी कृपा हो जाती है। तो इस रमे राम का दीदार कर देता है ऐसी प्रभु परमात्मा का दर्शन करके ही कितने जन्म जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।
सन्मुख होई जीव मोहि जबकि ,जनम कोटि अघ नासहिं तबाही। सतगुरु मन का नाता प्रभु परमात्मा से जोड़ देता है भक्त जन ऐसे प्रभु परमात्मा से जुड़कर के एक प्रेम को ही जीवन का आधार बनाते है जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभु पायो महात्मा आगे कहते हैं। की जिसने जीवन में प्रेम करना सीख लिया है। उसके लिए भक्ति का मार्ग बहुत ही सहज हो जाता है। क्योंकि भक्ति की पराकाष्ठा ही प्रेम है। भक्त जन इस संपूर्ण संसार को ब्रह्ममय मानकर करके सभी का आदर सम्मान और सभी से प्रेम करते हैं।
फिर मन में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रहता है। एक दूसरे की मदद भी की जाती है तो सेवा भाव से ही की जाती है। कि मदद करने का भी मन में किसी प्रकार का अभिमान ना रहे आज भी सन्त महात्मा मानव कल्याण के लिए यही संदेश दे रहे। हैं। कि यह प्रभु परमात्मा सतगुरु की कृपा से जाना जा सकता है। और इसे जानकर इसकी भक्ति करते हुए मानव जन्म मिलने का उद्देश्य भी सार्थक हो जायेगा इस मौके पर महात्मा पप्पू,गुलाब,राम प्रसाद,संजय कुमार,राम सुमेर, शत्रुघ्न बहनों में ऊषा, बबिता,पूनम, वन्दना, रामप्यारी आदि समस्त साध संगत मौजूद रहें।