भूमाफियाओं के आगे उच्च न्ययालय का आदेश भी नही रखता मायने भूमाफियाओं का बोलबाला
ऊँचाहार, रायबरेली। क्षेत्र में सुरक्षित भूमि से लेकर बंजर भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा इस बात का प्रमाण है कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा चलाये जा रहे एन्टी भूमाफिया कानून यहाँ धरातल पर ध्वस्त हो चुका है। यहाँ तक उच्च न्यायालय का आदेश भी इनके सामने कोई मायने नही रखता और स्थानीय प्रशासन भी कार्रवाई करने में कतरा रहा है। बताया जा रहा है की भूमाफियाओं की राजनेताओं से अच्छा मेल जोल होने के चलते स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों में इनकी खासी पैठ है और होगी भी क्यों नही? क्यों कि अधिकारियों से पहले तो खुद को राजनेताओं का खास बताते हैं किन्तु जान उससे भी काम नहीं बनता तो पैसों बारिश की जाती यदि उससे भी काम न हो तो गुंडागर्दी और पैसों का रौब झाड़ कर काम कराया जाता है। यहॉं नियम और कानून की धज्जियाँ खुले आम उड़ाई जा रही है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं ऊँचाहार नगर पंचायत क्षेत्र के मोहल्ला महादेवन के तालाब की जिसपर उच्च न्ययालय ने डीएम और एसडीएम को जाँचकर कब्जा हटाने का आदेश पारित किया है किन्तु एसडीएम द्वारा अबतक की कार्रवाई नही की गई। हाल ही में तत्कालीन एसडीएम केशव नाथ गुप्ता का स्थानांतरण होने के बाद नवागन्तुक एसडीएम ने कार्य भार संभाल लिया है उनको कार्यभार संभालते एक सप्ताह से भी अधिक हो गया लेकिन महोदय भी मामले अनभिज्ञता बताते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं। उक्त भूमि की विक्रय मूल्य सत्तर लाख से भी अधिक बताई जा रही है।
>क्या है पूरा मामला<
नगर के मोहल्ला महादेवन निवासी पीड़ित राजू ने हाईकोर्ट में दाखिल पीआइएल में बताया कि मोहल्ला महादेवन स्थित गाटा संख्या 2490 बतौर तालाब दर्ज है। जिसमें उसके पूर्वज वर्षों से मछली पालन करके जीविकोपार्जन कर रहे थे। लेकिन पिछले कुछ साल से नगर पंचायत अध्यक्ष पति व मुन्नवर आदि की शह पर कई लोग तालाब को पाटकर जबरन निर्माण कार्य कर रहे हैं। कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए बीती 14 अक्टूबर को डीएम व एसडीएम को जांच कर तालाब की भूमि से अवैध कब्जा हटवाने का आदेश दिया है। इसके बावजूद तालाब से अब तक अवैध कब्जों का निर्माण न तो रोका गया और न ही हटाया गया है बल्कि हल्के के लेखपाल द्वारा अपनी रिपोर्ट में तालाब के अस्तित्व को ही नकार दिया है। जबकि पीड़ित ने पुराने दस्तावेजों में तालाब दर्ज होने का उच्च न्यायालय में दावा किया है। स्थानीय प्रशासन ने अबतक कार्रवाई नही किया और न ही कोई उम्मीद दिख रही है। अब पीड़ित फरियाद करे, यह उसे समझ में नहीं आ रहा है की वह क्या करे जब उच्च न्यायलय का आदेश भूमाफियाओं व स्थानीय प्रशासन को कोई मायने नही रखता तो कहाँ जायें? अब रक्षक ही जब भक्षक बन जाए तो कौन सुनेगाफ़रियाद? पीड़ित की आशंका भी जायज है। क्योंकि यहां प्रशासन को हाईकोर्ट का आदेश कोई मायने नहीं रखता है? तभी तो तहसील क्षेत्र में आएदिन सरकारी व निजी जमीनों पर अवैध कब्जे की शिकायतें आती रहती हैं।लेकिन कार्रवाई न होने से रोजाना मामले बढ़ते जा रहे हैं। जो हकीकत है। प्रतीत होता कि है यहां अधिकारी-कर्मचारी अपनी जेबें भरने में मस्त हैं और फरियादी न्याय के लिए दर बदर की ठोकरें खा रहा है। बतादें कि भूमाफियाओं के प्रभाव और हनक के चलते इनके रास्ते में आने वाले को रास्ते लगा दिया जाता है। पीड़ित ने इसी माह बीते 11 तारीख को जिलाधिकारी से लिखित शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई है देखना दिलचस्प होगा कि आखिर क्या कार्रवाई होती इन भूमाफियाओं पर