गुरु पारस को अंतरो, जानत हैं सब संत, वह लोहा कंचन करे, यह करि दे महंत

गुरु पारस को अंतरो, जानत हैं सब संत, वह लोहा कंचन करे, यह करि दे महंत

रिपोर्ट/दीपक कुमार 

जगतपुर रायबरेली – सन्त निरंकारी सत्संग भवन, जगतपुर में आज प्रातःकालीन सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया। सत्संग की अध्यक्षता महात्मा रमेश चन्द्र जी ने की, जिन्होंने सतगुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा, “तीन लोक नौ खंड में, गुरु से बड़ा न कोय, करता जो न करि सकै, गुरु के करे सो होय।” उन्होंने बताया कि तीनों लोकों और नौ खंडों में गुरु से बड़ा कोई नहीं है। इस संसार की सारी शक्तियाँ हमारी इच्छाएँ पूरी कर सकती हैं, परंतु प्रभु परमात्मा से आत्मा का मिलन नहीं करवा सकतीं और न ही मुक्ति दे सकती हैं। केवल सतगुरु ही हमें प्रभु परमात्मा का ज्ञान देकर जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त कराते हैं। सतगुरु संसार के मोह को दूर कर हमें सत्य के मार्ग पर चलना सिखाते हैं। 

 

महात्मा रमेश चन्द्र जी ने एक और दोहा उद्धृत किया, “गुरु पारस को अंतरो, जानत हैं सब संत, वह लोहा कंचन करे, यह करि दे महंत।” इस दोहे में गुरु और पारस के अंतर को स्पष्ट किया गया है। पारस के स्पर्श से लोहा सोने में बदल जाता है, परंतु सतगुरु का ज्ञान आत्मा को परमात्मा से जोड़कर उसे परमात्मा स्वरूप बना देता है। संतजन सभी जीवों में प्रभु का अंश देखते हुए बिना किसी भेदभाव के सभी से निश्वार्थ प्रेम करते हैं।

 

इस अवसर पर ब्रांच प्रबंधक ज्ञान प्रचारक महात्मा बसन्त लाल, राम सजीवन, रती पाल, राम लखन, रज्जन, सुनील कुमार, श्याम प्यारे, अनूप कुमार, शुभम कपूर, शिव मूर्ति, कमल, अखिलेश, बहन वंदना, रेखा, प्रभा वती, प्रियवंदा, श्रेया आदि संगतजन उपस्थित रहे।

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Author: Bureau Report