संत निरंकारी सत्संग भवन जगतपुर में बुधवार को सत्संग कार्यक्रम आयोजित
रिपोर्ट दीपक कुमार
जगतपुर रायबरेली – बुधवार को जगतपुर स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सत्संग की अध्यक्षता महात्मा संजय कुमार सिंह जी ने की। उन्होंने साध संगत को संबोधित करते हुए कहा, “हरि को हरदम अंग संग देखो, इससे उत्तम धर्म नहीं। साधु-संत की सेवा करना इससे ऊंचा कर्म नहीं। जो संतों की सेवा तन, मन, धन से करता है, वह सच मानो, अपने हृदय की मैल स्वयं धोता जाता है। सतगुरु के उपदेश से बढ़कर जग में कोई वाणी नहीं है। मन की भेंट चढ़ाने से बड़ी कोई कुर्बानी नहीं है। जहां बैठकर राम ने भुले, वह स्थान सबसे बड़ा है और सबसे बड़ी भक्ति वही है, जिसे सतगुरु परवान करता है।”
महात्माओं ने प्रभु परमात्मा का अहसास करते हुए जीवन जीया और समाज को भी यही प्रेरणा दी कि परमात्मा ही सत्य है, जबकि यह संसार मिथ्या है, जो एक दिन नष्ट हो जाएगा। आत्मा का कल्याण तभी संभव है जब हम इस रमे राम को पहचानकर, उसके अहसास के साथ जीवन जिएं। इसके लिए संतों का संग अपने जीवन में बनाए रखना और संत महापुरुषों की सेवा करना आवश्यक है। जैसे-जैसे मन सतगुरु के चरणों में समर्पित होता है, यह निर्मल होता जाता है। फिर मन में अपने-पराए का भेदभाव, ईर्ष्या, जलन, नफरत और घृणा जैसे भाव समाप्त हो जाते हैं। इसके स्थान पर मन में प्रेम, दया, क्षमा, विनम्रता और समता के भाव आ जाते हैं।
इस मौके पर ब्रांच प्रबंधक एवं ज्ञान प्रचारक महात्मा बसंत लाल जी ने उपस्थित समस्त साध संगत का आभार व्यक्त किया और सभी के जीवन में भक्ति का आनंद बना रहे, इस हेतु सतगुरु के चरणों में अरदास की। सत्संग में महात्मा बसंत लाल जी (प्रबंधक व ज्ञान प्रचारक), राम प्रसाद जी, राम लखन जी, रज्जन जी, बसंत सिंह जी, गेंदा लाल जी, श्याम लाल जी, राम प्यारे जी, बहन वंदना जी, ऊषा देवी जी, कर्मा वती जी, अंजू जी, ज्योति जी, अर्चना जी, गीता देवी जी आदि साध संगत उपस्थित रही।