खूब लड़ा मर्दाना वह तो शंकरपुर का राना था
1857 के वीर सपूत को सभी ने सराहा
जगतपुर (रायबरेली)
देश के अमर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं देश के ऊपर प्राण न्योछावर करने में रायबरेली भी कभी पीछे नहीं रहा। अंग्रेजों से लोहा लेते- लेते अनेकों जाने अनजाने वीर सपूतों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। इसी क्रम में मुंशीगंज गोलीकांड इतिहास में 7 जनवरी अंग्रेजों और किसानों के बीच संघर्ष की निशानी है । मुंशीगंज सई नदी रक्तता काण्ड श्रद्धांजलि सभा से प्रारंभ होकर जनपद भर में ऐतिहासिक स्मारिकाओ के भ्रमण के बाद 14 जनवरी को शंकरपुर राना की स्मारिका में श्रद्धांजलि के उपरांत कार्यक्रम का अंत हुआ। यह वह योद्धा थे जो अंग्रेजों को लोहे के चने चबवाने के लिए अकेले ही रण में कूद पड़े थे। इनका घर शंकरपुर से तकरीबन 2 किलोमीटर दूरी पर उड़वा गांव में था। जो कि आज के समय में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी का गोद लिया हुआ गांव भी है। अट्ठारह सौ सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राना बेनी माधव बक्स सिंह की प्रतिमा जो कि राना बेनी माधव सिंह स्मारक इंटर कॉलेज शंकरपुर के ठीक सामने उनकी कुलदेवी आदिशक्ति जगदम्बा मां दुर्गा के मंदिर के बगल में स्थापित है। प्रतिमा पर अमर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों, नामित समिति के उत्तराधिकारियों, कालेज प्रबंधक सहित कालेज स्टाफ,क्षेत्र के सम्मानित लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की एवं गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे,वक्ताओं ने राना बेनी के जीवन पर और उनके शौर्यगाथा, व्यक्तित्व, वीरता, रणकौशल व्यूहरचना और अंग्रेजों के ऊपर राना साहब के डर उनकी क्षमता और युद्ध में विजयिता पर प्रकाश डाला। इस क्रम में सभी ने श्रद्धांजलि सभा में श्रद्धा सुमन अर्पित किए।कार्यक्रम में मौजूद एक बुजुर्ग ने बताया कि राणा साहब अंग्रेजों से युद्ध लड़ने के पहले अपनी कुलदेवी का आशीर्वाद लेकर जरूर जाते थे और उसके बाद म्यान में तलवार स्वत: ही आ जाती थी।