बटवारे में जो खोया हमने अब उसको पाना है,,,,,

बटवारे में जो खोया हमने अब उसको पाना है,,,,,

पहले वाले पूरे भारत मे राष्ट्रगान हमको गाना है,,

कमर कस लो यारो मेरे आगे लड़नी बहुत लड़ाई

घर मे घुस के मारने वाली ये छोटी सी है, अंगड़ाई

जो भी हिस्सा भारत का है उसको पाएंगे‌। 

जब तक तन में प्राण रहेंगे वन्दे मातरम गायेंगे,,,,,

 

 

हम डरते नही अड़बम्बो से या विस्फोटक जलतोपो से

हम डरते नही सीमा में रहने से या गोली लगने से 

हम डरते है, तो बस ये जयचंदी मखौटों से

हम डरते है, ताशकंद शिमला जैसे समझौतों से

उसकी रखवाली में हम अपना शीश चढ़ाएंगे

जब तक तन में प्राण रहेंगे वंदेमातरम गायेंगे,,

 

आंशू पिये हैं क्रोध दबाकर कितना और सहेंगे हम

राजनीति के चक्कर मे कितने वार और सहेंगे हम

गिलगित से गारो पर्वत तक ये देश हमारा है,

लाल हरे रंगों में हमको मत बाटो ये तिरंगा हमारा है,,

खण्डित भारत को पुनः अखंड हम बनायेंगे

जब तक तन में प्राण रहेंगे वन्दे मातरम गायेंगे,,

 

देश की एकता जो तोड़ रहा है,,

यमुना में जो विष घोल रहा है,,

उनके जहरीले फन को अब हमको तोड़ना होगा

रूप बनाकर कान्हा खेल खेल में ही मारना होगा 

जब न समझोगे प्यार की हम सुदर्शन चक्र चलायेंगे

जब तक तन में प्राण रहेंगे वन्दे मातरम गायेंगे,,

 

बहुत सहा है बहुत सुना है बहुत कुछ है गवाया

उसमे खुश नही है हम हमने जो कुछ है पाया

टूट पड़ेंगे दुश्मन पर जो हम पर आघात करेंगे

गिन गिन कर अब उनका हम संघार करेंगे,,

भारती की आरती में हम अपना शीश चढ़ाएंगे

जब तक तन में प्राण रहेंगे वन्देमातरम गायेंगे।।

 

रिपोर्ट/दीपक कुमार/लेखक आनन्द प्रकाश की कलम से,,,,,

 

हम डरते नही तीर तोप या तलवार से,,

 

हम तो मरते हैं बस, आपके प्यार से,,

 

कलम हमारी रुकती बिकती झुकती नही है

सत्ता के जालों से फसती छिपती डरती नही है,,

हम हल चलाने वालों की आवाज हैं,,

हम टूटे हुए ख्वाबो की आवाज हैं,,

हम आंशू हैं वेदना है हम हम ही तेरे दर्पण हैं,,

दुःख सुख के सागर को गागर में गाने वाले है,,

हम छप्पर के तले, बुझे चूल्हे की आग है,,

हम ही अंधियारे गांवों की जलती चिराग हैं,,

जो गाये सत्ता को ऐसे राजा के दरबारी नहीं

दरबारों में बन्दर नचाने वाले हम मदारी नहीं

जो मिटा दे सत्ता के मद को ऐसी आग है, 

सृजन हमारा जलते सूरज की आग है,

अग्निवंश में जन्मे अंधियारों की मशाल है

लगा दे आग पानी मे ऐसी हम मशाल हैं।

लेखक आनंद प्रकाश की कलम से,,,,

Bureau Report
Author: Bureau Report