सृष्टि की सबसे बड़ी शक्ति ईश्वर की भक्ति।

रायबरेली सराय श्रीबक्स में भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य विदुर प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को भावविभोर किया।

शुक्रवार को सराय श्री बक्स में भागवत कथा के दूसरे दिन भागवताचार्य नर्मदा नंद व जुगल किशोर ने कहा कि निष्काम भाव से ईश्वर की भक्ति करने पर वह स्वयं मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं। उन्हें किसी की माया और किसी के मोह से कोई मतलब नहीं होता है। भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन के यहां 56 प्रकार का भोजन त्याग कर प्रेम के वशीभूत होकर विदुर जी के यहां बिना बुलाए पहुंचे और भोजन किया। जहां पर सत्य और धर्म है। वहीं पर भगवान का वास होता है। भगवान की भजन करने की कोई उम्र नहीं होती है।

 

 

 

ध्रुव द्वारा 5 वर्ष की उम्र में अपने जप और तप के बदौलत भगवान के दर्शन प्राप्त हुए थे। बच्चों में बचपन से ही सही संस्कार देना चाहिए जिससे हमारी संस्कृत को बताया जा सके तथा व्यक्ति को ईश्वर पर भरोसा बना रहे। ईश्वर से कुछ भी मांगने की जरूरत नहीं है। निष्काम भाव से आराधना परमात्मा स्वयं प्रसन्न होते हैं। कुंती की भक्ति से प्रसन्न होकर जब भगवान ने उससे वर मांगने को कहा था। तब कुंती ने कहा था। प्रभु अगर कुछ देना ही चाहते हो तो मेरे जीवन में सुख दुख तो आते रहेंगे दुख में ही इंसान आपकी याद करता है। तो हमें दुख में ही रहने दें।

 

 

दुख दूर हो जाएगा तो आपकी कृपा मुझसे छीन जाएगी मुझे किसी प्रकार की कोई वर की आवश्यकता नहीं है। आप अपने चरणों में स्थान दे। इस मौके पर कमल सिंह संतोष बहादुर सिंह राम दुलारी देवी अशोक बहादुर सिंह सुनील सिंह दीपेंद्र बहादुर सिंह वेद प्रकाश दीक्षित अमर बहादुर सिंह यदुनाथ सिंह पप्पू त्रिवेदी गंगा सेठ आदि लोग मौजूद रहे।

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Author: Bureau Report